ब्रह्माचारिणी देवी की आरती Brahmacharini Devi ji ki aarti in hindi
ब्रह्माचारिणी देवी की आरती Brahmacharini Devi ji ki aarti in hindi
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी के इस रूप को माता पार्वती का
अविवाहित रूप माना जाता है। इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना
जाता है। तपश्चारिणी,अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं। मां ब्रह्मचारिणी का मतलब है तप का आचरण
करने वाली। माँ ब्रह्मचारिणी जी की पूजा उन लोगो को खास करना चाहिए जिन्का मन काम मैं नहीं लगता
और ध्यान एकाग्रचित्त नहीं रहता है। माता का ध्यान लगाने से मन स्थिर रहता है और मनुश्य अपने लक्ष्य की
प्राप्ति कर सकता है।
Navratri ki Puja ke Upyogi saamagri
ब्रह्माचारिणी देवी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
(108 बार जाप करें)
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