कूष्मांडा माता जी की आरती Kushmanda Mata ji ki aarti

 कूष्मांडा माता जी की आरती Kushmanda Mata ji ki aarti


नवरात्रि के चतुर्थी दिन मां दर्गा के चतुर्थ रुप कूष्मांडा की पूजा की जाती है। जब सृष्टि की रचना नहीं की गई थी और चारो तरफ अंधकार ही अंधकार था तब देवी ने अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की इसलिए उन्हें सृष्टि की आदिशक्ति कहा गया है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। इसलिए उन्हें अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। प्रात: स्‍नान से निवृत्‍त होने के बाद मां दुर्गा के कूष्‍मांडा रूप की पूजा करें। पूजा में मां को लाल रंग का पुष्‍प, गुड़हल, या फिर गुलाब अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। मां की पूजा आप हरे रंग के वस्‍त्र पहनकर करें तो अधिक शुभ माना जाता है। इससे आपके समस्‍त दुख दूर होते हैं।




Navratri ki Puja ke Upyogi saamagri

कूष्मांडा माता की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥


कूष्मांडा माता मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
(108 बार जाप करें)

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